Court Marriage – क्या आप कोर्ट मैरिज करने की सोच रहे हैं, तो जान लिजिए इसके नियम

By Jitendra Jangid- दोस्तो भारत में शादियां बड़ी धूम धाम से करी जाती हैं, शादियों के लिए लोग कई महीनों से तैयारियां शुरू कर देते है, भव्य आयोजन, परंपराएँ और रीति-रिवाज हमारी समृद्ध संस्कृति का हिस्सा हैं—लेकिन इन समारोहों में अक्सर भारी खर्च भी होता है, ऐसे में जो लोग समझदार होते हैं वो लोग कोर्ट मैरिज करते हैं, जो दो जनों के बीच कम खर्चो में पूर्ण हो जाती हैं, अगर आप कोर्ट मैरीज करने की सोच रहे हैं, तो इसके नियम जान लिजिए- 

कोर्ट मैरिज क्या है?

कोर्ट मैरिज दो व्यक्तियों का एक कानूनी मिलन है, जो विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत संपन्न होता है, चाहे उनका धर्म, जाति या पंथ कुछ भी हो। 

विवाह एक विवाह अधिकारी की उपस्थिति में संपन्न होता है।

यह एक सीधी-सादी प्रक्रिया है जिसमें कानूनी औपचारिकताएँ और दस्तावेज़ शामिल होते हैं।

दोनों व्यक्तियों को अदालत में उपस्थित होना होगा और गवाहों के सामने अपनी सहमति देनी होगी।

कोर्ट मैरिज के लिए मुख्य आवश्यकताएँ

आयु मानदंड:

दूल्हे की आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए।

दुल्हन की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य:

दोनों पक्ष स्वस्थ मानसिक स्थिति में होने चाहिए और वैध सहमति देने में सक्षम होने चाहिए।

वैवाहिक स्थिति:

कोर्ट मैरिज के समय दोनों व्यक्ति अविवाहित होने चाहिए।

यदि पहले से विवाहित हैं, तो तलाक या जीवनसाथी की मृत्यु (विधवा होने की स्थिति में) का उचित कानूनी प्रमाण आवश्यक है।

सहमति महत्वपूर्ण है:

विवाह दोनों व्यक्तियों की स्वतंत्र इच्छा से किया जाना चाहिए।

जबरन या धोखे से विवाह करना सख्त गैरकानूनी और दंडनीय है।

कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज़

आधार कार्ड (या कोई भी वैध पहचान पत्र)

10वीं कक्षा की मार्कशीट (आयु प्रमाण के लिए)

पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो

निवास प्रमाण पत्र

जन्म प्रमाण पत्र

तलाक प्रमाण पत्र (यदि पहले तलाक हो चुका है)

मृत्यु प्रमाण पत्र (यदि विधवा हैं)

आवेदन और दस्तावेज़ जमा करने के बाद, आमतौर पर 30 दिनों का नोटिस पीरियड होता है, जिसके बाद शादी की तारीख तय की जाती है।