
By Jitendra Jangid- दोस्तो हिंदू धर्म में भगवान शिव को सबसे बड़ा देवता माना जाता हैं, जिनकी पूजा करने से आप अपने जीवन से दुख, दर्द दूर कर सकते हैं, सच्चे मन से भगवान शिव को जल चढ़ाने से उन्हें खुशी और आशीर्वाद मिलता है। पूजा को सही तरीके से और सम्मान के साथ करने के लिए कुछ खास दिशा-निर्देशों का पालन करना ज़रूरी है। अगर आप शिवलिंग पर भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहते हैं, तो परंपरा का सही तरीके से सम्मान करने के लिए कुछ खास रीति-रिवाजों का पालन करना ज़रूरी है। आइए जानते हैं शिवलिंग की पूजा कैसे करनी चाहिए-

चेहरे की दिशा मायने रखती है:
जल चढ़ाते समय आप जिस दिशा में मुंह करके बैठते हैं, वह बहुत महत्वपूर्ण है। आपका चेहरा हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, न कि पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर।
जल चढ़ाते समय मुद्रा:
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय खड़े न हों। अनुष्ठान करते समय बैठने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह विनम्रता और भक्ति का प्रतीक है। तांबे के बर्तन का उपयोग करें: शिव पुराण सलाह देता है कि जल हमेशा तांबे के बर्तन से चढ़ाना चाहिए।

जल चढ़ाने का सबसे अच्छा समय:
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सबसे शुभ समय सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच है। यह अवधि प्रार्थना और अनुष्ठानों के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली मानी जाती है, इसलिए शाम के समय जल चढ़ाने से बचना सबसे अच्छा है।
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